प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के पाँचवे दिन राजकमल प्रकाशन समूह के मंच पर कुसुम खेमानी की किताब 'जड़िया बाई' का लोकापर्ण मैत्रेयी पुष्पा, मृदुला गर्ग और पुरुषोत्तम अग्रवाल ने किया। साथ ही मृदुला गर्ग की किताब 'वसु का कुटुम' तथा पुरुषोत्तम अग्रवाल का उपन्यास 'नाकोहस' से अंश पाठ तथा परिचर्चा की गई।
'वसु का कुटुम' मृदुला गर्ग की अब तक लिखी गई कहानियों से एकदम अलग हटकर है। वसु का कुटुम : दामिनी कांड की थीम पर बुनी गई कहानी है और यह कहानी महान संभावना के आसपास घूमती है।
लेखिका मृदुला गर्ग ने पाठकों से बातचीत करते हुए कहा कि मैने दामिनी को अपने उपन्यास का चरित्र इसलिए चुना क्योंकि हमारे समाज में यह धारणा है कि अगर किसी के साथ बलात्कार जैसे संगीन हादसा हुआ वो तो वह लोगों के नजर मे बेचारी हो जाती है। मगर वह बेचारी नही है बल्कि उस घटना से उसमे और ताकत आ जाती है और उसे भी बाकी लोगों की तरह जीने का अधिकार होना चाहिए।
पुरुषोत्तम अग्रवाल का उपन्यास 'नाकोहस' समकालीन सामाजिक, राजनीतिक दबावों के दुष्चक्र में फंसी मनुष्य की चेतना और उसके संघर्ष, पीड़ा को उकेरने के प्रयास की कहानी है।
नाकोहस उपन्यास शीर्षक पर लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि नाकोहस खबरों मे नही होता है यह वातावरण मे होता है और यह उपन्यास भय और चिंता से उत्पन हुआ है।
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