तुम दबे पाव से आना…
पर अपना पता जरूर बताना…
ऐ जिंदगी निराश हु में…
तुम कोई खुशियो की आस लेकर आना…
मेरे अतीत को मत दोहराना…
तुम बस मेरे भविष्य में खुशियों की बहार लाना…
ऐ जिंदगी ना तुझसे कोई शिकायत करूँगा…
बस तुम मेरे सपनोँ को सच करने का अहसास लेकर आना…
मुझे पता हे ऐ जिंदगी तुम किसी मोड़ पर जरूर मिलोगी…
पर उस गली का इंतजार हे जो मुझे तुम्हारा पता देगी…
ऐ जिंदगी जो मुझे तुमसे वाकिफ करा दे वो कोई तो डगर होगी…
तुम धीरे से मेरी हथेली को स्पर्श करना
फिर मुझे तेरे निशान की जरूरत नही होगी…
ऐ जिंदगी में और कितना इंतजार करूँ…
तेरी तलाश में मै कहा-कहा भटकू…
अपना पता नही पर मुझसे नाराज क्यों हो बस यही बता…
लेखक पत्रकारिता से जुड़े हुए है और सरदारपुर जिला धार (म.प्र.) के रहने वाले है।
लेखक से मोबाइल नंबर 077488 77116 और ई-मेल rprajapati19395@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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© उपरोक्त रचना के सर्वाधिकार लेखक एवं अक्षय गौरव पत्रिका पत्रिका के पास सुरक्षित है।
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